जब भी होलिका को
जलते हुए देखोगे
तो वहां होलिका को
जलते हुए मत देखना
यह देखना कि कैसे
आज भी हिरण्यकश्यप
स्वघोषित ईश्वर कहलाता है
कैसे वह
अपने ही पुत्र के लिए
चिता सजाता है
कैसे आग से नहीं
जलने वाली होलिका को
उसमें बैठाता है
कैसे होलिका जल जाती है
प्रह्लाद बाहर निकल आता है
और सुनो
यह भी देखना कि
उसमें हम ही तो नहीं जल रहे हैं..
आजकल इस दृष्टिकोण से कौन लिखता है?
जवाब देंहटाएंनए बुद्धिजीवी तो होलिका को महिला और हिरणकश्यपु को दलित घोषित कर रहे हैं।
प्रह्लाद भी बालक थे, कोई सोचता ही नहीं।
और अपनी बात तो कौन ही करे??🥺
इसलिए आपका नाम बुद्धिजीवी की लिस्ट से हटा दिया जाएगा।