हे राम
अपने जीवन में राम के आदर्शों को रत्ती भर भी नहीं उतार रहे हैं,
वैसे लोग भी चौक-चौराहे पर जय श्रीराम चिंघाड़ रहे हैं ...
कैसा कलिकाल आया अब तो रावण के वंशज ही धर्म ध्वजा लेकर राम को मार रहे हैं...
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