जिंदगी का अजीब फ़लसफ़ा है,
हर एक आदमी दूसरे से खफा है!
गैरों के गुनाहों का बही-खाता है सबके पास,
बस अपने गुनाहों का हिसाब रफा-दफा है!
तौहीन करने का शगल ऐसा है उनका,
खुद ही तोहमत लगा लेते कई दफा है!
किसपे करूं यकीन कहो तो "साथी",
करो भरोसा जिसपे मिलती जफ़ा है!!
आपकी रचना बहुत सुन्दर है। हम चाहते हैं की आपकी इस पोस्ट को ओर भी लोग पढे । इसलिए आपकी पोस्ट को "पाँच लिंको का आनंद पर लिंक कर रहे है आप भी आज रविवार 16 अप्रैल 2017 को ब्लाग पर जरूर पधारे ।
जवाब देंहटाएंचर्चाकार
"ज्ञान द्रष्टा - Best Hindi Motivational Blog
आभार
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या बात है , आभार
जवाब देंहटाएंAabhaar
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