मीरा तब भी थी
मीरा अब भी है
कृष्ण के माथे तब भी कलंक लगा
कृष्ण के माथे अब कलंक है
मीरा तब भी पापिन थी
मीरा अब भी पापिन है
प्रेम तब भी पाप था
प्रेम अब भी पाप है
प्रेम का तब भी खोजा गया कारण
प्रेम का अब भी खोजा जाता है कारण
प्रेम का तब भी कोई कारण नहीं था
प्रेम का अब भी कोई कारण नहीं है
युग बीते
ईश्वर तब भी थे
राक्षस अब भी है ....
मीरा अब भी है
कृष्ण के माथे तब भी कलंक लगा
कृष्ण के माथे अब कलंक है
मीरा तब भी पापिन थी
मीरा अब भी पापिन है
प्रेम तब भी पाप था
प्रेम अब भी पाप है
प्रेम का तब भी खोजा गया कारण
प्रेम का अब भी खोजा जाता है कारण
प्रेम का तब भी कोई कारण नहीं था
प्रेम का अब भी कोई कारण नहीं है
युग बीते
ईश्वर तब भी थे
राक्षस अब भी है ....
दुनिया की रीत है - यह तो होना ही है !
जवाब देंहटाएंसही कहा ....सार्थक रचना
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