रविवार, 11 मई 2014

कुलटा (मातृत्व दिवस पर)

चुपचाप बैठा सोंच रहा हूँ
क्या कुंती को  अधिकार नहीं था
कर्ण को मातृत्व सुख देती.....?

या कि कर्ण का वंचित पुरूषार्थ
दानवीर होकर भी
दम नहीं तोड़ दिया....?

या कि सीता को नहीं था
अधिकार
राजषी प्रसव सुख भोग का...?

या कि कबीर को नहीं था
अधिकार
माँ की ममता का...?

कौन है जिसकी वजह से
सूख जाती है
माँ के छाती का दूध
और
बिलखता रहता है
उसके अपने कोख का जना...
जिगर का टुकड़ा...

कौन है
जिसकी वजह से
आज भी है
कुंती और सीता
सोंच रहा हूँ मैं...






6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत गहन विचार ! प्रश्न अनुत्तरित ही रहेगा ?
    बेटी बन गई बहू

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  2. बहुत गहन कविता कौन है जिसकी वजह से ये सब हो रहा है यदि उस कौन का पता चल जाए तो सारे फ़साद खत्म हो जायें शायद वो कौन कहीं न कहीं हमारा अहम ही है जो किसी भी अस्वीकार्य को स्वीकार करने से रोकता है ।

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  3. कौन है ?
    उफ़्फ़ .....अरुण जी आपकी सोच ने झंझोर दिया

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