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शुक्रवार, 31 मई 2013
आंख में पानी नहीं रहा (गजल)
इस दौर में आदमी के आंख में पानी नहीं रहा।
आदमी है, आदमीयत की निशानी नहीं रहा।।
सज गए है घर-गली कागज के फूल से।
बाजार की खुश्बू का असर रूहानी नहीं रहा।।
आप तो मोहब्बत भी करते है सौदे की तरह तौल कर।
अब तो मोहब्बत में लौला-मजनूं की रूमानी नहीं रहा।।
2 टिप्पणियां:
smile klub
1 जून 2013 को 4:47 am बजे
Kiya baat hai mast hai
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Amrita Tanmay
3 जून 2013 को 6:49 pm बजे
सही कहा ..
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Kiya baat hai mast hai
जवाब देंहटाएंसही कहा ..
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