बहुत सही |
aabhar
सहजता से गहरी बात कहती कविता !
sanjay babu...sab aapki kirpa he..hausla dete rahe
सन्नाट...
aashirbad DADA....chela sahi raah par he.....?
शब्दों की शक्ति है ये....
sab aap sab ke hausle se yah shakti pata hun
पर उसके सवालकभी कभीनिरूत्तर कर देतें हैंतथाकथित बौद्धिकों को भी...बहुत ही बढ़िया बात कही है आपने..सुन्दर रचना...
कल 06/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद! '' क्या क्या छूट गया ''
aabhar aapka
कविता का काम ही मानसिक उद्वेलन है
sahi kajal ji
पर उसके सवालकभी कभीनिरूत्तर कर देतें हैंतथाकथित बौद्धिकों को भी....haan.....sahi bole.
बिलकुल.... प्रबक क्षमता है कविताओं में...
पर उसके सवालकभी कभीनिरूत्तर कर देतें हैंतथाकथित बौद्धिकों को भी...sarthak ...sundar abhivyakti ....badhai sweekaren ...
swikar kiya, ashish banaye rakhe....
बहुत सही कहा अरुणजी .......कभी कभी एक कविता बयार सी गुज़र जाती है , और झना झा जाती कई तार....कभी मस्तिष्क के ..कभी आत्मा के
बहुत बढ़िया सर!सादर
उसे पता नहीं होताविभेदराजा और रंक का.....use ham sikha dete hain thoda bada kavi hone do...ye nishchalta hame khud achhi nahi lagegi !
शब्द सच ही कभी नि:शब्द कर देते हैं
ऐसी कवितायें ही कुठार करती हैं समाज की मान्यताओं पे .. कालजयी हो जाती हैं ...
ऐसी कविताओं पर सत्ता वाल सवाल उठाते हैं ... क्योंकि जवाब तो उन्हें देना नहीं है।
शब्द और सोच ...हमेशा निरुत्तर क्यों कर देते हैं ?
छोटी सी कविता गहरा असर, अभिव्यक्ति की कौशलता.
सच में कविता .... एक झरने की तरह होना चाहिए ... जिस सब कोई समझ सके .... बधाई
अरुण भाई ...जरा देखे http://pandeygambhir.blogspot.in/
सवाल तो बहुत हैं पर जबाब बहुत कम. बहुत सुंदर.
सही कहा ...
बहुत सुंदर...
और उनके सवालों का जवाब किसी के पास नहीं होता .....
बधाई .
बहुत उम्दा कविता और ब्लाग डिजाइन |आभार
बहुत सही |
जवाब देंहटाएंaabhar
हटाएंसहजता से गहरी बात कहती कविता !
जवाब देंहटाएंsanjay babu...sab aapki kirpa he..hausla dete rahe
हटाएंसन्नाट...
जवाब देंहटाएंaashirbad DADA....chela sahi raah par he.....?
हटाएंशब्दों की शक्ति है ये....
जवाब देंहटाएंsab aap sab ke hausle se yah shakti pata hun
हटाएंपर उसके सवाल
जवाब देंहटाएंकभी कभी
निरूत्तर कर देतें हैं
तथाकथित बौद्धिकों को भी...
बहुत ही बढ़िया बात कही है आपने..
सुन्दर रचना...
कल 06/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' क्या क्या छूट गया ''
aabhar aapka
हटाएंकविता का काम ही मानसिक उद्वेलन है
हटाएंsahi kajal ji
हटाएंपर उसके सवाल
जवाब देंहटाएंकभी कभी
निरूत्तर कर देतें हैं
तथाकथित बौद्धिकों को भी....haan.....sahi bole.
बिलकुल....
जवाब देंहटाएंप्रबक क्षमता है कविताओं में...
पर उसके सवाल
जवाब देंहटाएंकभी कभी
निरूत्तर कर देतें हैं
तथाकथित बौद्धिकों को भी...
sarthak ...sundar abhivyakti ....
badhai sweekaren ...
swikar kiya, ashish banaye rakhe....
हटाएंबहुत सही कहा अरुणजी .......कभी कभी एक कविता बयार सी गुज़र जाती है , और झना झा जाती कई तार....कभी मस्तिष्क के ..कभी आत्मा के
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
उसे पता नहीं होता
जवाब देंहटाएंविभेद
राजा और रंक का..
...
use ham sikha dete hain thoda bada kavi hone do...ye nishchalta hame khud achhi nahi lagegi !
शब्द सच ही कभी नि:शब्द कर देते हैं
जवाब देंहटाएंऐसी कवितायें ही कुठार करती हैं समाज की मान्यताओं पे ..
जवाब देंहटाएंकालजयी हो जाती हैं ...
ऐसी कविताओं पर सत्ता वाल सवाल उठाते हैं ... क्योंकि जवाब तो उन्हें देना नहीं है।
जवाब देंहटाएंशब्द और सोच ...हमेशा निरुत्तर क्यों कर देते हैं ?
जवाब देंहटाएंछोटी सी कविता गहरा असर, अभिव्यक्ति की कौशलता.
जवाब देंहटाएंसच में कविता .... एक झरने की तरह होना चाहिए ... जिस सब कोई समझ सके .... बधाई
जवाब देंहटाएंअरुण भाई ...जरा देखे
जवाब देंहटाएंhttp://pandeygambhir.blogspot.in/
सवाल तो बहुत हैं पर जबाब बहुत कम.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
सही कहा ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंऔर उनके सवालों का जवाब किसी के पास नहीं होता .....
जवाब देंहटाएंबधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा कविता और ब्लाग डिजाइन |आभार
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