बनने और बिगड़ने का क्रम तो चलता रहता है। पर यह अन्तराल लंबा न हो।
bahut khub dil ko chhu gayi
लाजवाब रचना...बधाई स्वीकारें नीरज
antaraal sochne samajhne ka mauka muhaiya karta hai !
क्या अन्तराल को बचाना चाहिये, कि बहुत ही अन्तराल ना हो जाये? क्या अन्तराल में ही जीवन होता है? क्या अन्तराल ही अमरत्व है?
ठूंठ था जहां कभीवहां कलरव करते है विहगवसंतपतझड़और अंतरालजीवन का सबसे बड़ा सवालसही कहा आपने, यही जीवन का सबसे बड़ा सवाल है।सुंदर कविता।
kya kavita hai.......wah.
दो के बीच में अंतराल तो रहेगा ही,सुंदर पोस्ट...मेरे पोस्ट में स्वागत है
बहुत सुंदर । अंतराल एक सच्चाई है पर यह चलायमान है । बधाई
वसंत से पतझड़ के बीच ही तो पूरा जीवन है ...अच्छी रचना !
@अंतरालजीवन का सबसे बड़ा सवाल.... वाकई!
ढूंठ था जहां कभीवहां कलरव करते है विहगवसंतपतझड़और अंतरालजीवन का सबसे बड़ा सवाल....आपके पोस्ट पर आना अच्छा लगा ..आपने अंतराल कौर जीवन पर लिखा ...खूबसूरत व्याख्या ..मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है
बहुत सुंदरक्या कहने
क्या कथ्य,क्या भाव और क्या शिल्प...सब बेजोड़...
जीवा भी तो इसी अंतराल के भटकाव में फंस के रह जाता है ... गहरी बात कही है आपने अरुण जी ...
Bahut sundar,anoothee rachana!
बेहद ख़ूबसूरत और शानदार रचना ! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अन्तराल..दर्द और हंसी के बीच..जो जुड़ा थाउसके टूटने से पहले,होता है एक अन्तराल।क्या बात है ...बहुत ही गहरी और सशक्त रचना ...बहुत दिनों बात इक अच्छी कविता पढने को मिली .....
ढूंठ था जहां कभीवहां कलरव करते है विहगवसंतपतझड़और अंतरालजीवन का सबसे बड़ा सवाल....वाकई बिल्कुल सच कहा आपने। अंतराल छोड़ जाता है कई सवाल।
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
बनने और बिगड़ने का क्रम तो चलता रहता है। पर यह अन्तराल लंबा न हो।
जवाब देंहटाएंbahut khub dil ko chhu gayi
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
antaraal sochne samajhne ka mauka muhaiya karta hai !
जवाब देंहटाएंक्या अन्तराल को बचाना चाहिये, कि बहुत ही अन्तराल ना हो जाये? क्या अन्तराल में ही जीवन होता है? क्या अन्तराल ही अमरत्व है?
जवाब देंहटाएंठूंठ था जहां कभी
जवाब देंहटाएंवहां कलरव करते है विहग
वसंत
पतझड़
और अंतराल
जीवन का सबसे बड़ा सवाल
सही कहा आपने, यही जीवन का सबसे बड़ा सवाल है।
सुंदर कविता।
kya kavita hai.......wah.
जवाब देंहटाएंदो के बीच में अंतराल तो रहेगा ही,
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट...मेरे पोस्ट में स्वागत है
बहुत सुंदर । अंतराल एक सच्चाई है पर यह चलायमान है । बधाई
जवाब देंहटाएंवसंत से पतझड़ के बीच ही तो पूरा जीवन है ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना !
@अंतराल
जवाब देंहटाएंजीवन का सबसे बड़ा सवाल....
वाकई!
ढूंठ था जहां कभी
जवाब देंहटाएंवहां कलरव करते है विहग
वसंत
पतझड़
और अंतराल
जीवन का सबसे बड़ा सवाल....
आपके पोस्ट पर आना अच्छा लगा ..आपने अंतराल कौर जीवन पर लिखा ...खूबसूरत व्याख्या ..मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
क्या कथ्य,क्या भाव और क्या शिल्प...
जवाब देंहटाएंसब बेजोड़...
जीवा भी तो इसी अंतराल के भटकाव में फंस के रह जाता है ... गहरी बात कही है आपने अरुण जी ...
जवाब देंहटाएंBahut sundar,anoothee rachana!
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और शानदार रचना ! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अन्तराल..
जवाब देंहटाएंदर्द और हंसी के बीच..
जो जुड़ा था
उसके टूटने से पहले,
होता है एक अन्तराल।
क्या बात है ...
बहुत ही गहरी और सशक्त रचना ...
बहुत दिनों बात इक अच्छी कविता पढने को मिली .....
ढूंठ था जहां कभी
जवाब देंहटाएंवहां कलरव करते है विहग
वसंत
पतझड़
और अंतराल
जीवन का सबसे बड़ा सवाल....वाकई बिल्कुल सच कहा आपने। अंतराल छोड़ जाता है कई सवाल।
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
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