गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

नेतवा सब भरमाबो है. (मगही कविता)

अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है.
गली गली जे दारू बेचे, ओकरे खूब जीताबो है.

पहले हलथिन रंगबाज
फिर कहलैलथिन ठेकेदार
अब हो गेलथिन एमएलए
जनसेवका के सब हंसी उडाबो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है.


सूट बूट है उजर बगबग
स्कारपीयों  करो है जगमग
टूटल साईकिल से ई लगदग
कहां से, कोय नै ई बतावो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है.



अनपढ़ हो गेलइ हे मास्टर
गोबरठोकनी हो गेलइ हे सिस्टर
बड़का बाप के बेटा हे डागडर
फर्जी डिग्री के फेरा में
ग्रेजुएट भैंस चराबो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है


कभी मण्डल
कभी कमण्डल
कभी राम और
कभी रहीम
आग लगाके नेतवन सब
घर बैठल मौज उड़ावो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है


की कुशासन
की सुशासन
गरीबन झोपड़ी नै राशन
चपरासी से अफसर तक
सभे महल बनाबो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है



लोकतन्त्र में
कागवंश के
राजहंश सब
बिरदावली अब गावो है

चौथोखंभा भी रंगले सीयरा संग 
हुआ हुआ चिल्लाबो है
हुआ हुआ चिल्लावो है..........

1 टिप्पणी:

  1. श्री अरुण साथी जी,
    अपने के मगही कविता बड़ नीक लगल । मगही के बारे में आउ कुछ विशेष लिखथिन ।
    मगही पर हमर कुछ ब्लॉग हइ । जरूर भेंट देथिन ।

    मगही भाषा एवं साहित्य (http://magahi-sahitya.blogspot.com)
    मगही-हिन्दी शब्दकोश (http://magahi-kosh.blogspot.com)
    मगही व्याकरण (http://magahi-vyakaran.blogspot.com)
    मगही धातुपाठ (http://magahi-dhatupath.blogspot.com)

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