बुधवार, 21 जून 2023

मन की बात

मन की बात
(अपने 50वें जन्म दिन पर (कल) लिखी कविता)
आज तक
जीवन को सार्थक
कर न पाया
नैतिकता की 
कसौटी पर 
जिसे खरा पाया
उसी के साथ 
पग बढ़ाया


लड़खड़ाया
गिरा, संभला
उठा ,चला
जीवन भर
खुद को
यात्री ही पाया


बहुत लोगों
से मिला
बहुत कम
से जुड़ पाया

जिससे जुड़ा
उसका अपनत्व 
भाया

इस अकिंचन को
सबने अपनाया

इसी यात्रा में
विषधर
आस्तीन में समाया
कुछ ने विष वमन की
कुछ का विष पचाया

कुछ प्रपंची ने
करने को वध
चक्रव्यूह रचाया

बेसहारा हो
सातवें चक्र में
अभिमन्यु की तरह
खेत आया


चरैवेति चरैवेति
जीवन का मंत्र बनाया
सब कुछ के बाद भी
जीवन को सार्थक 
कर न पाया....

17 टिप्‍पणियां:

  1. App aise hi apne bicharo ko likhte rahe..or agee badhte rahe..bhagwan apko lambhi umr de. App ham logo ke prerna shrot hai

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  2. यात्रा जारी रहे | सांप भी चलते रहें | आस्तीन सलामत रहे | शुभकामनाएं मन की बात कर देने के लिए |

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    1. आभार अपका। प्रेरणा मिली। यात्रा जारी रहेगी

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  3. आत्ममंथन महत्वपूर्ण है जीवन के हर.पड़ाव के लिए।
    प्रणाम सर
    सादर
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ जून २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. पांच में से एक स्थान देने लिए के अभार, आत्ममंथन जारी है, विचारों की कमल चलेगी आगे भी

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  4. देर से ही सही जन्मदिन की शुभकामनाएँ ।
    सार्थक आत्ममंथन ।

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  5. वाह! बहुत खूब! जन्म दिन की ढेरों शुभकामनाएँ💐

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  6. बहुत सुंदर।
    बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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