पहले हम विधर्मियों की
मौत पे जश्न मनाते थे
फिर हम विजातियों की
मौत पे जश्न मनाने लगे
आहिस्ते आहिस्ते हमारी
संवेदना मरती जाएगी
और तब हम स्वजातियों की
मौत जश्न मनाएंगे
फिर हम पड़ोसियों की
मौत जश्न मनाने लगेंगे
और फिर एक दिन
राजनीतिज्ञ हमे मर देंगे
और हम अपनी ही
मौत का जश्न मनाने लगेगें
इंतजार कीजिये, बस
गनहिं महत्मा की जै
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें