हाँ मैं लोकतंत्र हूँ..
(अरुण साथी)
धर्म के नाम पे मार कर
आदमी को, उसी की
लाश पे जश्न मनाने का
सर्व सुलभ यंत्र हूँ...
हाँ मैं लोकतंत्र हूँ..
कर्ज से मरता किसान
मजदूरों का चूल्हा वीरान
अम्बानियों, आडानियों के
स्विस बैंक भरने का खड़यंत्र हूँ..
हाँ मैं लोकतंत्र हूँ..
भूख से मरते आदमी
को आश्वासन देते हुए
मुँह से निवाला छीन
वोट बैंक में बांटने का मंत्र हूँ
हाँ मैं लोकतंत्र हूँ.....
धर्म-धर्म में बाँट कर
जाति-जाति में छाँट कर
सत्ता सिंघासन पाने का
बस एक षडयंत्र हूँ..
हाँ मैं लोकतंत्र हूँ..
हाँ मैं लोकतंत्र हूँ..
(15/08/18)
स्वतंत्रता दिवस पे इससे ज्यादा कुछ नहीं दे सकता..धन्यवाद..
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