वक्त वक्त की बात है, वक्त सबका हिसाब रखता है!
जलेगा वही जो सिरहाने अपनी आफताब रखता है!!
इस दुनिया का यही रिवाज है तो मान लो "साथी"!
स्याह फितरत लोग दूसरों के धब्बों का हिसाब रखता है!!
अब तो मंदिर मस्जिद फ़कत कातिलों के अड्डे है!
खूनी हाथों में वह मज़हब की किताब रखता है!!
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