(अरुण साथी)
पिता समान ससुर से
सेक्स की बात को
मजहब के आड़ में
हलाला बता
सही ठहराते हो
हो शैतान
और तुम
मुल्ले-मौलवी
कहलाते हो
और
हलाला रूपी बलात्कार
का विरोध करने
वाली एक महिला
से भी डर जाते हो
हद तो यह कि निदा को
शरीया का हवाला देकर
सड़े हुए अपने
धर्म से निकालने का
फतवा सुनाते हो
और तो और
इन शैतानों के साथ
देने वाले
खामोश रहकर जो
जो तुम मुस्कुराते हो
तुम भी जरा नहीं
लजाते हो...
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