बुधवार, 27 दिसंबर 2017

बुलेटवा अब दहेजुआ गाड़ी हो.. (सामाजिक कुरीति दहेज पे अपनी मगही बोली में चोट किया है.. पढ़िए तो..)


बुलेटबा अब दहेजुआ गाड़ी हो गेलो।
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।
1
पहले ई सवारी हलो रंगदार औ ठेकेदार के,
पहचान लगि देखाबा करे वाला जमिंदार के,
या तर माल कम्बे वाला पुलिस औ थानेदार के,
अब ई हवो-पहलवान के सवारी हो गेलो।
बुलेटबा अब दहेजुआ गाड़ी हो गेलो।
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।
2
जन्ने जाहो ओनने दहेज मांगतो कस के,
सब फाइनल होला पर बुलेट ले लड़का रुसल हो,
लड़का के माय बोलथुन रभस के!!
बुलेट नै होलो झिंगुनी के तरकारी हो गेलो।।
बुलेटबा अब दहेजुआ गाड़ी हो गेलो।
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।
3
दहेज के रुपैया पर बेटा के बाप नितराबो हइ,
पाई पाई गिना के बेटी बाप के चोकर छोडाबो हइ,
उहे रुपैया फेर गुड्डी नियर उडाबो हइ,
दोसर के पैसा पर अपन्न झुठठो शान देखबो हइ,
दहेज तो अब जैसे नियम सरकारी हो गेलो।।
बुलेटबा अब दहेजुआ गाड़ी हो गेलो।
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।
#अरुण_साथी/28/12/17








4 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'रविवार' ३१ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/


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  2. निमंत्रण पत्र :
    मंज़िलें और भी हैं ,
    आवश्यकता है केवल कारवां बनाने की। मेरा मक़सद है आपको हिंदी ब्लॉग जगत के उन रचनाकारों से परिचित करवाना जिनसे आप सभी अपरिचित अथवा उनकी रचनाओं तक आप सभी की पहुँच नहीं।
    ये मेरा प्रयास निरंतर ज़ारी रहेगा ! इसी पावन उद्देश्य के साथ लोकतंत्र संवाद मंच आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों का हृदय से स्वागत करता है नये -पुराने रचनाकारों का संगम 'विशेषांक' में सोमवार १५ जनवरी २०१८ को आप सभी सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद !"एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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