साथी
ठोकरें खाकर अपनों की
जब से संभल गए साथी!
दुनियादार क्या हुआ,
कहते हैं बदल गए "साथी"!!
जिनसे था ग़ुरूर वही
लोग मतलबी निकले,
एक कदम जो तेज चला,
चाल चल गए साथी!!
इक मोहब्बत के नाम जो
कर दी जिंदगी अपनी!
जमाने ने हँसकर कहा,
बेगैरत निकल गए साथी!!
छाँव बनकर ताउम्र
जिनके साथ रहा,
दौरे गुरबत में मुंह फेर
वे भी निकल गए साथी!!
#अरुण_साथी (21/11/17)
महिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे अरुण जी ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंशहर से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ..!!