वाकिफ तो था तुम्हारी फितरत से।
वेबजह वेवफा होगे, सोंचा न था।।
ऐतवार न था फिर भी ताउम्र इंतजार किया।
मैयत पे भी मेरी न आओगे, सोंचा न था।।
वेबजह वेवफा होगे, सोंचा न था।।
ऐतवार न था फिर भी ताउम्र इंतजार किया।
मैयत पे भी मेरी न आओगे, सोंचा न था।।
अभी भी समय है सोच क्यों नहीं लेते :)
जवाब देंहटाएंअच्छी लाईने !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-12-2013 को चर्चा मंच की चर्चा - 1473 ( वाह रे हिन्दुस्तानियों ) पर दिया गया है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
आभार