शनिवार, 21 दिसंबर 2013

गिद्ध

आज कल घरती पर गिद्ध
हर जगह रहते है..

आज ही तो
आइसक्रीम बेच रहे नन्हें चुहवा पर
चलाया था चान्गुर
गाल पर पंजे का निशान उग आये
बक्क!
आंखों में भर आया
लाल लहू ...

कल ही रेलगाड़ी में भुंजा बेच रहे मल्हूआ पर
खाकी गिद्ध ने मारा झपट्टा
बचने के प्रयास में आ गया वह पहिये के नीचे
सैकड़ों हिस्सों में बंट गया मल्हूआ..

गिद्धों के हिस्से आया एक एक टुकड़ा..

अब तो हर जगह दिखाई देते है गिद्ध

कहीं भगवा, कहीं सेकुलर
तो कहीं जेहादी बन कर
टांग देते है कथित धर्म की धोती
अपने ही बहन-.बेटी के माथे पर
और फिर नोच लेते है उसकी देह
भूखे गिद्धों की तरह...

गांव से लेकर शहर तक पाये जाते है
गिद्ध....

3 टिप्‍पणियां:

  1. आजकल ऐसे गिद्धों कि कमी नहीं है
    हर जगह मिल जाते है ये। .
    कटु सत्य पर आधारित मार्मिक रचना

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  2. गिद्धों पर दया भी की जा रही है
    कहीं कम ना हों जायें तैय्यारी
    भी हर जगह की जा रही है :)

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