यूं तो कातिले-कौम हो तुम।कहलाते हो इंसान, बुरा लगता है।।सच
हालातों पर गहरा प्रहार।
आपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है कृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
यूं तो कातिले-कौम हो तुम।कहलाते हो इंसान, बुरा लगता है।।बहुत अच्छा ..
अच्छा लगा।
सच कहा है ... पीठ पीछे धोखा देते है ये ...पर हम भी बुधू बने बैठे हैं ... पता नहीं क्यों ...
pata nahi qn///yahi sawal sabke man me heAbhar
दोस्ती में दगा ...ये ही तो सबसे बुरी बात है
बनकर रकीब पीठ में भोंक दो खंजर।दोस्त बन कर देते हो यही अंजाम, बुरा लगता है।।अब इससे ज्यादा क्या कह सकते हैं पता नहीं वो कब समझेंगे.शुभकामनायें पोंगल, मकर संक्रांति और माघ बिहू की.
प्रासंगिक भाव
बहुत खूब ,,,,कुछ भी हो, हमारी मातृभूमि की तरफ आँख उठाकर देखने की भी कोई जुर्रत न करे, चाहे वो कोई भी हो ,,,,साभार !
दोस्त बन कर देते हो यही अंजाम, बुरा लगता है..ठीक कहा आपने ...शुभकामनाएं !
यूं तो कातिले-कौम हो तुम।
जवाब देंहटाएंकहलाते हो इंसान, बुरा लगता है।।
सच
हालातों पर गहरा प्रहार।
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
यूं तो कातिले-कौम हो तुम।
जवाब देंहटाएंकहलाते हो इंसान, बुरा लगता है।।
बहुत अच्छा ..
अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसच कहा है ... पीठ पीछे धोखा देते है ये ...
जवाब देंहटाएंपर हम भी बुधू बने बैठे हैं ... पता नहीं क्यों ...
pata nahi qn///yahi sawal sabke man me he
हटाएंAbhar
दोस्ती में दगा ...ये ही तो सबसे बुरी बात है
जवाब देंहटाएंबनकर रकीब पीठ में भोंक दो खंजर।
जवाब देंहटाएंदोस्त बन कर देते हो यही अंजाम, बुरा लगता है।।
अब इससे ज्यादा क्या कह सकते हैं पता नहीं वो कब समझेंगे.
शुभकामनायें पोंगल, मकर संक्रांति और माघ बिहू की.
प्रासंगिक भाव
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ,,,,
जवाब देंहटाएंकुछ भी हो, हमारी मातृभूमि की तरफ आँख उठाकर देखने की भी कोई जुर्रत न करे, चाहे वो कोई भी हो ,,,,
साभार !
दोस्त बन कर देते हो यही अंजाम, बुरा लगता है..
जवाब देंहटाएंठीक कहा आपने ...
शुभकामनाएं !