घर की सफाई करते
कूड़े़ को भी
उलट-पुलट
देख लेता हूं
कई बार..
बिना जांचे-परखे
कूड़ेदान में फेंकने का मलाल
रह जाता है
जीवनभर...
शायद कुछ महत्वपुर्ण हो?
जीवन की फिलॉस्फी भी
इसी तरह है
जाने कब, कहां, कैसे
जिसे हमने फेंक दिया
कूड़ा समझ कर
आज भी है उसके फेंके जाने का मलाल
सीने में एक टीस की तरह
शायद वह भी महत्वपुर्ण होता...
जल्बाजी और क्रोध में लिए फैसले अकसर गलत होते हैं...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.
वक्त वक्त की बात है. कभी कभी बेकार वस्तु भी महत्वपूर्ण हो जाती है.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.
जीवन की फिलॉस्फी भी
जवाब देंहटाएंइसी तरह है
जाने कब, कहां, कैसे
जिसे हमने फेंक दिया
कूड़ा समझ कर
आज भी है उसके फेंके जाने का मलाल
सीने में एक टीस की तरह
शायद वह भी महत्वपुर्ण होता... हाँ लगता तो है
हा गलती से ऐसा भी हो जाता है कभी कभी..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.....
गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत बात.... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत सच कहा है...सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसच कहा है ... अक्सर होता है जीवन में .. समझ नहीं पाते हम किसी को और बाद में पछताते हैं ..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ..........जीवन का कड़वा सच सबके सामने रख दिया हैं आपने
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