प्रेम की कविता केवल वही नहीं लिखते
जिन्होंने प्यार किया
या कि प्यार में धोखा पाया।
प्रेम की कविता वे भी लिखते हैं
जिन्होंने कभी प्रेम की चाहत की
पर इजहार न कर सके।
प्रेम काव्य तो उनका भी होता है
जिनका पहला प्रेम पत्र
आज भी
किताब की कब्र में
चिरनिद्रा में सो रहा होता है।
प्रेम काव्य वे भी लिखते है
जो शब्दों के मोती के साथ
प्रियतम तक पहुंचाते है दिल की बात।
और प्रेम काव्य लिखते हुए
आज भी मिल जायेगी
कई मीरा------
सुन्दर भाव....
जवाब देंहटाएंटंकण त्रुटि ठीक कर लें
आज भी "मिल जायेंगी"...
शुभकामनाएँ.
प्रेम वे भी लिखते हैं जो ख्यालों में प्रेम को जीते हैं .... कोई नाम नहीं , चेहरा नहीं - पर प्रेम होता है
जवाब देंहटाएंप्रेम काव्य तो उनका भी होता है
जवाब देंहटाएंजिनका पहला प्रेम पत्र
आज भी
किताब की कब्र में
चिरनिद्रा में सो रहा होता है.....bahut khoobsurat.neeche ki pangti men lagta hai mil ke badle mal ho gaya hai......anytha n len.
धन्यवाद, हड़बड़ में गड़बड़। काम का बोझ और ब्लॉगिंग...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .. सच कहा है अरुण जी ... कई बार प्रेम ह्रदय में बंद रहता है ... अभिव्यक्ति नहीं हो पारी पर प्रेम तो रहता ही है ...
जवाब देंहटाएंअद्भुत निरीक्षण-परीक्षण और सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंसच कहा प्रेम की कविता वही नहीं लिखते जिनहोने प्रेम किया हो .... बहुत कुछ मन में छिपी भावना भी होती है जो कल्पना में उतार लिखवा देती है प्रेम कविता ॥
जवाब देंहटाएंसच कहा जरूरी नही प्रेम करने वाले ही लिखें प्रेम कविता
जवाब देंहटाएंऔर प्रेम काव्य लिखते हुए
जवाब देंहटाएंआज भी मिल जायेगी
कई मीरा------
a..और कई तो अपने प्रेम को लिख ही नहीं पाती ..
अजब-गजब है यह प्रेम..
सुन्दर प्रस्तुति