मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

कि फिर आऐगी सुबह

हर सुबह एक नई उम्मीद लाती है


खब्बो से निकाल


हमको जगाती है




अब शाम ढले तो उदास मत होना


उम्मीदों कों सिरहाने रखकर तुम चैन से सोना


कि फिर आऐगी सुबह


हमको जगाऐगी सुबह


रास्ते बताऐगी सुबह


उम्मीदों कें सफर को मंजिल तक पहूंचाऐगी सुबह................. 

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