रविवार, 21 जुलाई 2024

बधिया

बधिया 
(अरुण साथी)

जनतंत्र के राजा के लिए 
बहुत आवश्यक है कि 
वह जो बोलते हैं
देश भी वही बोले 

आवश्यक यह भी है कि 
वह जो नहीं बोलते हैं 
देश वह भी बोले 

यह तो और भी आवश्यक है कि 
वह जब बोलने नहीं कहें 
तब कोई कुछ भी नहीं बोले 
सब रहे चुप, एकदम चुप 

अब इस प्रकार की 
शांति व्यवस्था के लिए 
बहुत आवश्यक है कि 

जाति 
धर्म 
विचारधारा के औजार से 
आदमी का बधिया कर दिया जाए 
बस

(नोट-वर्तमान राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं है।)

1 टिप्पणी:

  1. धर्म और राजनीति का संबंध घटनाओं के संदर्भ में सदैव सारगर्भित है ।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २३ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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