शनिवार, 20 मई 2017

मोहब्बत पे यकीं

एक मुसलसल सी कमी बाकी रख!
पावों तले थोड़ी सी जमीं बाकी रख!!

ठोकरों से संभलना सीख ले "साथी"!
आंखों में थोड़ी सी नमी बाकी रख!!

महबूब को बेबफा न कहा करो यूँ ही,
मोहब्बत पे थोड़ा सा यकीं बाकी रख!!

@अरुण साथी 21/05/17

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