सोमवार, 26 दिसंबर 2016

आम आदमी

भागमभाग
उठापटक
कभी उधर
कभी इधर
सपने-हकीकत
घर-परिवार
दोस्ती-यारी
देश-समाज
दाल-रोटी
की जद है जिंदगी..
**
घिसे चप्पल
सिले जूते
चिप्पी पैंट
फटे जेब
फटी चादर
और लंबे पैर
की हद है जिंदगी..
**
एक चुटकी ईमानदारी
मुठ्ठी भर बेईमानी
मन भर आत्मा
छटाँक भर परमात्मा
बड़े बड़े बोल
कर्म, कुकर्म
बस यही सब
कशमकश है ज़िन्दगी...
***
सुबह सूरज उगे
कि फूल खिले
पंछी के गीत हो
कि शाम ढले
नया साल आये
कि पुराना साल जाये
आम आदमी के लिए
तो बस
जद्दोजहद है जिंदगी..
(27-12-16)

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