सोमवार, 6 जुलाई 2015

निराश मत हो...

शनै: शनै:
अस्ताचल की ओर
जाते सूरज को देख
बहुत आशान्वित हो जाता हूं,
जैसे 
उर्जा की एक नई किरण
समाहित हो अन्तः को
जागृत कर रही हो....
.........
जैसे 
कह रही हो,
फिर होगी सुबह,
फिर निकलेगा सूरज,
नई उर्जा,
नई आशा,
नया दिन और
नई चुनौतियों के साथ,

निराश मत हो...


(तस्वीर- मेरे गांव में डूबते सूरज की)

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