सोमवार, 31 मई 2010

अन्तराल


अन्तराल

दर्द और हंसी के बीच...

जो जुड़ा था 
उसके टूटने से पहले...

टूटना है नये का आगमन
और बीच का अन्तराल
पतझड़

जहां कलरव करते थे विहग
आज है वहां सन्नाटा....

और फिर 
इसी अन्तराल में अयेगा वसन्त....

वसन्त

पतझड़

और बीच का अन्तराल....

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