साथी
सोमवार, 9 जून 2025
कब्र में आदमी
सोमवार, 27 जनवरी 2025
पाप–पुण्य
पाप पुण्य
(अरुण साथी)
गंगा में डुबकी लगा
नहीं चाहता हूं धो लेना
अपने हिस्से के पाप को
बजा के घंटी, लगा के टीका
कम भी नहीं करना चाहता हूं उसे
चाहता हूं अपने हिस्से का पाप
वैसे ही अपने पास रहे
जैसे रहता है पुण्य
फिर चाहता हूं
चुटकी चुटकी
पुण्य को जोड़ता रहूं
और चाहता हूं, अंत में जब
हिसाब किताब हो तो
अपने पुण्य का पलड़ा
एक छटांक से ही सही
भारी हो जाए, बस...
बुधवार, 28 अगस्त 2024
मैं भी तो खबर बनूंगा
रविवार, 21 जुलाई 2024
बधिया
शुक्रवार, 19 जुलाई 2024
शनिवार, 29 जून 2024
अहं ब्रह्मास्मि
शुक्रवार, 29 मार्च 2024
प्रेम की कविता
#प्रेम की #कविता
(अरुण साथी)
वह रोज मिल जाती है
कभी बीच सड़क
कभी गली में
कभी छत पे
कभी झरोखे से
कभी कभी
मिल जाती है
सपनों में भी
नज़रें मिलते ही
वह आहिस्ते से
मुस्कराती है
फिर नजरे झुका
चली जाती है
बस...
शुक्रवार, 1 मार्च 2024
आदमी, कुत्ता और कचरा
शनिवार, 20 जनवरी 2024
राम ने कहा
राम ने कहा
सुनो वत्स
मुझे मर्यादा पुरुषोत्तम
जानते है सब
मुझे मर्यादा में ही रहने दो
बाल्मिकी और तुलसी
की भावनाओं के साथ ही मुझे
जन जन के जीवन में बहने दो
मर्यादा टूटी तो
मुझे कौन पुरुषोत्तम मानेगा
फिर
रावण को भी गुणी मान
कौन अपने भ्राता
को उसके चरणों में भेज
जीवन का सूत्र जानेगा...
मुझे दिव्य दिगंबर
बना दोगे तो
सबरी के जूठे
बेर कौन खायेगा
केवट की नाव चढ़
कौन उस पार जायेगा
फिर माता अहिल्या
शिला ही रहेगी
इस तरह फिर
कौन उद्धारक आयेगा
मुझे तो जटायु
हनुमान, बानर
के साथ ही रहने दो
स्वर्ण महलों के मुझे बिठाओगे
तो भला रावण वह,
जिसकी सोने की लंका थी
किसी को कैसे बताओगे
रावण वह
जिसने साधु के भेष
में सीता हरण किया
किसी को कैसे समझाओगे
सुनो वत्स..सुन लो..
बुधवार, 8 नवंबर 2023
रविवार, 22 अक्टूबर 2023
सुनो स्त्री
शुक्रवार, 18 अगस्त 2023
वह भी आदमी ही है
वह भी आदमी ही हैअरुण साथीहम जहां है, वहीं से हीहमे नीचे देख लेना चाहिएइसलिए नहीं है कियह कोई अनिवार्य शर्त हैबल्कि इसलिए कीनीचे देख लेने भर से हीहमे ठोकर लगने की संभावनाकम हो जाती हैऔर इसलिए भी कीनीचे देखने भर से हीहम देख पाते हैबगैर नीचे देख करचलनेवालें चोटिल हुएआदमी को...और इसलिए भी किजब हम, जहां हैंवहां से नीचे देखते हैंतो सिर्फ अपनी आंखों से हीनहीं देखना चाहिएहमें अपनीसंवेदनाओं में उतर करभी देख लेना चाहिए..और इस तरहदेखने पर ही दिखेगाकि मंदिरों के बाहरएक रोटी के लिएतरसता आदमी जैसा एक भिक्षुक भी आदमी ही हैतब कहीं दिखेगाकि बगैर हाथ-पैर कालोथड़ा जैसा दिखने वालावह आदमी भीआदमी ही हैऔर दिखेगा यह भी किहाड़तोड़ मेहनत करतावह मजदूर जैसा आदमी भीएक आदमी ही हैऔर तब हमछोड़ देगेंईश्वर से हर बात को लेकरशिकायत करना...