साथी
सोमवार, 12 जून 2023
मौत से निदंद
जाने क्यों
अब मरने से
डर लगता है
पर जब भी
डरता हूँ
तब
कई तर्क वितर्क
मन को
मथने
लगत
े
ं
है
एक मन कहता है
जिसकी मौत
सुनिश्चित नहीं
उसे कौन
मार सकता है
दूसरा कहता है
जिसकी मौत
सुनिश्चित है
उसे कौन
बचा सकता है..
और बस
मैं, निदंद हो जाता हूं..
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