सोमवार, 26 जून 2023

आसन नहीं है पिता होना

आसन नहीं है पिता होना

कहां आसान है
किसी के लिए
पिता होना
और
आसान कहां है 
पिता के लिए
कुछ भी,
यहां तक की रोना भी

कहां रो पाता है पिता
दर्द में, खुल कर  अक्सर
कभी कभी जब  टूटता है अंदर से
तो रोता है अंदर ही अंदर

और फिर हंसना तो 
जैसे पिता के लिए
और भी आसान नहीं

मुश्किलों से लड़ते लड़ते
खुलकर हंसे तो
पिता के लिए
युग हो जाता है

कभी कभी हंस लेता है
पिता, 
कठ्ठ हंसी
जैसे कुछ छुपा रखा  हो 
अपने अंदर


अब कहां आसान है
मुश्किलों से लड़ते
पिता के लिए
सांस तक भी लेना...

बुधवार, 21 जून 2023

मन की बात

मन की बात
(अपने 50वें जन्म दिन पर (कल) लिखी कविता)
आज तक
जीवन को सार्थक
कर न पाया
नैतिकता की 
कसौटी पर 
जिसे खरा पाया
उसी के साथ 
पग बढ़ाया


लड़खड़ाया
गिरा, संभला
उठा ,चला
जीवन भर
खुद को
यात्री ही पाया


बहुत लोगों
से मिला
बहुत कम
से जुड़ पाया

जिससे जुड़ा
उसका अपनत्व 
भाया

इस अकिंचन को
सबने अपनाया

इसी यात्रा में
विषधर
आस्तीन में समाया
कुछ ने विष वमन की
कुछ का विष पचाया

कुछ प्रपंची ने
करने को वध
चक्रव्यूह रचाया

बेसहारा हो
सातवें चक्र में
अभिमन्यु की तरह
खेत आया


चरैवेति चरैवेति
जीवन का मंत्र बनाया
सब कुछ के बाद भी
जीवन को सार्थक 
कर न पाया....

सोमवार, 12 जून 2023

मौत से निदंद

जाने क्यों
अब मरने से 
डर लगता है


पर जब भी
डरता हूँ
तब
कई तर्क वितर्क
मन को
मथने लगत है


एक मन कहता है
जिसकी मौत 
सुनिश्चित नहीं
उसे कौन 
मार सकता है


दूसरा कहता है
जिसकी मौत
सुनिश्चित है
उसे कौन
बचा सकता है..

और बस
मैं, निदंद हो जाता हूं..

रविवार, 4 जून 2023

लाशों के सौदागर


लाशों के सौदागर

दुर्घटनाग्रस्त
रेल गाड़ी हुई
सैकड़ों लोग की जान गई
चीत्कार उठा भारत

पर उनकी बांछे 
खिल उठी
उनका कुनवा
खिलखिला उठा

देश के प्रधान
की छाती पर
रख कर पैर, पूछ रहे वे
बता, कौन है जिम्मेवार

सोच रही माता भारती
उनके बच्चों की मौत पर
किस तरह से करते है ये
लाशों का भी कारोबार...