रविवार, 11 सितंबर 2016

प्रहसन

यह एक प्रहसन है
लोकतंत्र का प्रहसन
यहाँ
लिखी गयी पटकथा पे
अभिनय करते है
लोग

तभी तो
वही लोग
जो कल तक
रावण को मानते थे
राक्षस,
आज अचानक
भगवान् मानने लगे..!

वही लोग
जिनके लिए पाप था
सीता का
अपहरण
द्रोपदी का
चीरहरण
लाक्षागृह दहन
दुर्योधन का
अत्याचार,
आज इसे ईश्वर की
इच्छा मानने लगे..

वही कृष्ण
जाने कैसे
कुरुक्षेत्र में
आकर
कहने लगे

"हे तात
लाभ-हानि
जीवन-मरण
यश-अपयश
सब कुछ विधि हाथ..

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