रविवार, 2 अक्टूबर 2011

शब्दों की चुहलबाजी (क्षणिकाऐं)



1
गांधी जी से लेकर
इबादत की टोपी तक,
सबकुछ बांट देगें।
राजनीति के चतुरसुजान,
खून को भी सेकुलर कह छांट देगें!



2
मेरी आदतों का वे बुरा मान गए हैं,
मंदिर, मस्जिद भी जाता हूं, वे जान गए हैं।

3
चोर चोर मौसेरे भाई।
भाजपा ने उक्ती को चरितार्थ किया,
मंहगाई पर वोटिंग में आम आदमी को छोड़,
संसद में कांग्रेस का साथ दिया।

4
बाबा जी कहते थे
सर्वशक्तिमान है हम,
कांग्रेस के एक ही फटके में,
न खुदा मिला, न विशाले सनम...।

5
हाइटेक युग में महोदय
कथित रथ की सवारी करेगें,
जनता को भ्रमाने का
फिर से एक स्वांग धरेगें।

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और सार्थक पोस्ट के लिए बहुत- बहुत आभार बधाई .

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.

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  2. बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं ! भारत के वर्तमान राजनैतिक हालात पे बढ़िया कटाक्ष !

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  3. हाइटेक युग में महोदय
    कथित रथ की सवारी करेगें,
    जनता को भ्रमाने का
    फिर से एक स्वांग धरेगें।
    ...swang mein hi inka jeewan beetta hai..
    badiya vyang...

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