रविवार, 9 जनवरी 2011

पाती प्रेम की




तेरे सौन्दर्यबोध में

मैंने बहुत से शब्द ढूंढे

अपनी भावनाओं को 

कोरे कागज पर बारंबार

उकेरा...

शब्द शर्मा जाते 
हर बार...।

फिर इस तरह किया मैने 

अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त

गुलाब की एक अबोध पंखुड़ी को 

लिफाफे में बंद कर 

तुम्हें भेज दिया।.


15 टिप्‍पणियां:

  1. तेरे सौन्दर्यबोध में

    मैंने बहुत से शब्द ढूंढे

    अपनी भावनाओं को

    कोरे कागज पर बारंबार
    इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ! कितनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं ... मन मोह लिया इस चित्र ने तो !

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम को अभिव्यक्त करने का इससे अच्छा तरीका भला और क्या हो सकता है?

    बहुत अच्छी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  4. अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं। बहुत सुंदर ....रचना...

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह यार। गुलाब ही भेज दिया लिफाफे में बंद कर। क्या कहने......अंदाज पंसद आया।

    जवाब देंहटाएं
  6. बिलकुल ठीक कहा .....
    शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर ....रचना... .
    कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें .

    जवाब देंहटाएं
  8. प्यार की सुन्दर अभिव्यक्ति !
    शुभकामनाएं !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    जवाब देंहटाएं
  9. अरे एक ही पंखुरी क्यों भेजी? ज्यादा भेजते तो गुलकंद ही बना लेते!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत कोमलता से मन की कोमल भावनाओ को सहेजा है आपने

    जवाब देंहटाएं
  11. naajuk ehsaason se judi naajuk rachna
    bahut sundar
    badhaayi
    aabhaar


    लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  12. lo kar lo baat....vah pankhudi to pahun gayi ham tak bhaayi....acchhi si kavita ke roop men.....

    जवाब देंहटाएं
  13. अभिव्यक्ति में मौन और फूलों में गुलाब विशिष्ट है।

    जवाब देंहटाएं
  14. सुन्दर अभिव्यक्ति, बहुत सुंदर ....रचना. शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं