साथी
शनिवार, 21 अगस्त 2010
शकून के पल.... गांव की एक दोपहर
खेलते बच्चे........
मंदिर के पास अराम करती महिलए.....
यगशाला में ताश खेलते मर्द.....
1 टिप्पणी:
नीरज मुसाफ़िर
21 अगस्त 2010 को 11:51 pm बजे
यह गांव कौन सा है भाई।
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यह गांव कौन सा है भाई।
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