सुनो जिंदगी
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यह ठीक है कि
तुम सीढ़ी हो
और सांप भी
यह भी ठीक ही है कि
सौ घरों में एक-एक कदम
चलकर दूरी तय करना होता है
यह भी ठीक है कि
एक पासे से तुम
सीढ़ी के सहारे
अर्श पे पहुंचा देती हो
तो दूसरे पासे से
सांप के सहारे
फर्श पे
पर सुनो जिंदगी
यह ठीक नहीं कि
पासे भी तुम्हारे पास हो
और चाल भी तुम्हीं चलो
कुछ तो मेरे हिस्से आने दो
सुनो जिंदगी