बुलेटबा अब दहेजुआ गाड़ी हो गेलो।
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।
पहले ई सवारी हलो रंगदार औ ठेकेदार के,
पहचान लगि देखाबा करे वाला जमिंदार के,
या तर माल कम्बे वाला पुलिस औ थानेदार के,
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।
जन्ने जाहो ओनने दहेज मांगतो कस के,
सब फाइनल होला पर बुलेट ले लड़का रुसल हो,
लड़का के माय बोलथुन रभस के!!
बुलेट नै होलो झिंगुनी के तरकारी हो गेलो।।
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।
दहेज के रुपैया पर बेटा के बाप नितराबो हइ,
पाई पाई गिना के बेटी बाप के चोकर छोडाबो हइ,
उहे रुपैया फेर गुड्डी नियर उडाबो हइ,
दोसर के पैसा पर अपन्न झुठठो शान देखबो हइ,
दहेज तो अब जैसे नियम सरकारी हो गेलो।।
खरीदे खातिर निम्मल बेटी बाप के गियारी हो गेलो।।