साथी
रविवार, 23 अगस्त 2015
एक सवाल
एक सवाल
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सवाल यह नहीं है
कि हम अपनों के लिए
क्यूँ करते है
कर्म-कुकर्म
पुण्य-पाप..?
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सवाल तो यह भी नहीं है
कि हम अपनों के लिए
जीते क्यूँ है..?
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सवाल तो यह है
कि हमारा अपना है कौन....?
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