कभी कभी मैं भी झेंप जाता हूं,
जब, मित्र के पत्तल से
उठा कर मिठाई
अपने पत्तल में डाल लेता हूं
और लोग चौक कर अचरज से
मेरी ओर देखने लगते हैं।
तब, जब मित्र अपने हिस्से की
आधी से अधिक चाय
मेरे कप में उड़ेल देते हैं
और तब भी,
जब कभी कभी
मित्र संकोचवश
खाने लगते है मिठाई
और मैं छीन लेता हूँ
झप्पटा मार कर...
लोग मेरी अशिष्टता पर हंसते हैं।
परवाह नहीं, लोग क्या सोंचते होगें...
पर एक डायबिटिक मित्र की मिठासा छीनना
मुझे सौ जन्मों की खुशी दे जाती है....