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गुरुवार, 16 सितंबर 2010
गुलजार की कुछ नज्में
गुरुवार, 9 सितंबर 2010
जरूरी तो नहीं।
हर ख्वाब की तामीर हो,
जरूरी तो नहीं।
हर शक्स की अच्छी तकदीर हो,
जरूरी तो नहीं।
माना कि मदहोश कर देती हो तुम शाकी,
बहक जाय हर शख्स,
जरूरी तो नहीं।
बहुत हसीन शोहबतें तेरी हमदम,
हासील हो सभी को ,
जरूरी तो नहीं।
सच है, तेरे चाहने वाले हैं कई,
बन जाओ सभी की ,
जरूरी तो नहीं।
तेरा आइना तुझे जी भर के देखता होगा,
हर सय की आइने सी तकदीर हो,
जरूरी तो नहीं।
कोई तो तेरे ख्वाब में आता होगा,
मुझे भी तुम बुलाओं,
जरूरी तो नहीं।
चाहा है मैंने तुझे जानो दिल से बढ़कर,
तुम भी मुझे चाहो,
जरूरी तो नहीं।