सोमवार, 31 मई 2010

चीरफाड़ पर विनोद जी का आलेख पढ़ने के बाद मेरी टिप्पणी'........पत्रकार अधोषित रूप से इस बात का पालन कर रहे कि सरकार के खिलाफ खबर नहीं लगेगी।

आपने  जिस  बात की चर्चा की है उसमें बहुत सच्चाई है। और यहां बिहार मे रहकर मेरे जैस लोग रोज रोज इससे रूबरू हो रहे है। पत्रकार अधोषित रूप से इस बात का पालन कर रहे कि सरकार के खिलाफ खबर नहीं लगेगी। इससे सम्बंधित एक बाकाया मैं सुनाना चाहूंंगा। राष्ट्रीय सहारा की बैठक में जब एक पत्रकार बंधू ने संपादक श्री हरीश पाठक से यह पूछ लिया कि नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ जब खबर भेजते है तो वह क्यों नहीं छपती तो आदरणीय संपादक महोदय खामोश हो कर इस तरह बगले झांकने लगे जैसे किसी ने उनकी चोरी पकड़ ली हो  और जब इस बात पर फिर से जोर दिया गया तो झुंझला कर बोले के इसके लिए प्रबंधक से बात करीए।
हम और हमारे साथी इसके भुग्तभोगी है और जानते है कि सरकार के खिलाफ खबर नहीं छपनी है। एक और बाकया मैं बताना चाहूंगा। मैं बिहार के शेखपुरा जिले से रिपाZेटिंग का काम करता हूं और आज से एक साल पहले पशु हाट के विवाद को लेकर कांग्रेसी नेता सुरेश सिंह कें पशु हाट के लाइसेंस को रदद कर जदयू नेता एवं अनन्त सिंह के भाई त्रिशुलधारी सिंह ने पशु हाट को अपने आदमी के नाम कर ली। इस प्रकरण में पूरा जिला पुलिस जानवर को पकड़ कर नये पशु हाट पर ले गई और जिसने इसका विरोध किया उसपर मुकदमा किया गया तथा मारपीट हुई हम सभी ने इस खबर को लगातार कितनी बार भेजा पर एक बार भी प्रकाशित नहीं किया गया। शेखपुरा जिला के बरबीघा-शेखोपुरसराय सड़क के किनारे पत्थर का टुकड़ा देने तथा सफेद पटटी बनाने का ठीका एक जदयू के चहेते को दे दिया गया बिना किसी टेण्डर कें 12 लाख का ठेका। इस समाचार को सभी अखबारो में भेजा गया पर किसी ने इसे प्रकाशित नहीं किया।
जदयू के एक नेता जी है जिनके अनुसार अब हमलोगेां बेकार अकड़ते है अखबार को ही मैनेज कर लिया गया है।
हां अभी कल ही एक बहुत ही बुरी खबर आई है एसएमएस के जरीए। साधना न्यूज चैनल के लिए मैं काम करता हूं और  कल से पहले सरकार के खिलाफ खबर नहीं ली जाती थी पर आज सरकार के खिलाफ खबर भेजने के लिए आशुतोष सहाय जी का एसएमएस  आया है लगता है चैनल का सरकार के साथ सौदा नहीं पटा और पटाने को दबाब बनाया जाएगा। क्या क्या लिखे। आठ साल से ग्रामीण क्षेत्र से समाचार प्रेशण का काम कर रहा हूं पर आज लगता है कि यह सब बेकार कर रहा। पहले जन समस्याओं को लेकर लड़ता था, नेताओं की पोल खोलता था, डाक्टर अस्पताल में नहीं इसके लिए समाचार लगातार भेजता था पर आज यह सब करने को मन नहीं करता पता नहीं शायद अब मुझे भी लगने लगा है कि किसी से दुश्मनी मोल लेकर  क्या मिलेगा, फयादा क्या होगा। इसी उधेरबुन मे आज कल जी रहा हुं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sahi baat likhi hai bhai. mai bhi patrkaaritaa mey hoo. dekh rahaa hoo sub kuchh. durbhagya hi kahe ki ab patrakarita ko swarna kaal chalaagayaa hai.

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  2. bahut umdha!

    http://liberalflorence.blogspot.com/
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  3. मजा कि‍स चीज में है ? यह एक अलग ही आयाम में ले जाने वाला प्रश्‍न है।
    नफे नुक्‍सान के तराजुओं से कर्म का फैसला करने का तरीका नि‍हायत ही गलत है। मि‍त्र इस बारे में फि‍र से सोचि‍ये।

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